Friday, March 31, 2017

सुना है टपकते हैं जाम तेरी आँखों से

सुना है टपकते हैं जाम तेरी आँखों से
हमें तो बस एक कतरे की ख्वाईश है/
आजकल उखड़ा-उखड़ा रहता है दिल हमारा
चित्र-गूगल आभार 
इस नादान को बस एक आवाज़ की गुंजाईश है/
ये हया,ये खूबसूरती हम तो हार ही जाते हैं
जरा सुनो!ये बेकार की आजमाईश है/
कल जो निकलो बाज़ार में जुल्फें खुली रखना
बस इतनी सी तेरे चाहनेवाले की फ़रमाईश है/
दिल दे न देना किसी की मुफ्लिशी को देख कर
अय्यार हैं,ये तो झूठ की नुमाईश है/
जाओगी जहाँ भी,हमे वहाँ पाओगी
ये थोड़ी उसकी रेहम बाकी हम और हमारे दोस्तों की साजिश है/
उस फ़िज़ा में घुले तेरी खुशबू में लोग बहक जाते हैं
जाने क्या असर होगा वो तेरी खुशबू जो खालिश है/
कभी फुर्सत में हो तो आना ए दोस्त मेरी शोहबत में
तो बताऊंगा वो बारिश है और मुझे भींगने की ख्वाईश है/
©युगेश
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Tuesday, March 21, 2017

माँ का प्रेम

प्रेम की परिभाषा
इतनी आसान कहाँ
उपमाएं कम पर जाएं
जो माँ की बात हो
अकूत,विस्तृत,अपरिसीम
चित्र-गूगल आभार 
ये शब्द कम पड़ जाएँ
जो ममता की बात हो
प्रेम कभी महसूस कर आता है
प्रेम कभी साथ जीकर आता है
उस प्रेम की क्या बात करूँ
जो जीवन देकर आता है
एक प्रतिबिम्ब सा बनता है
माँ की उन आँखों में
जो है भी और नहीं भी
पर जीता उसकी साँसों में
वेदना परस्पर प्रेम
दृश्य मनोहर वो होता है
जब उस रोती माँ के हाँथों में
एक नवजीवन जब रोता है
दृश्य वो विशाल
पर अब उसकी छोटी दुनिया होती है
उस नन्हे बालक के खुशियों में
वो खुशियां ढूंढा करती है
झंकृत करती जीवन उसका
अपने मन-वीणा के तारों से
जो और न समझे ,वो गुत्थी सुलझी
माँ पढ़ती उसके आँखों से
चित्र उकेरती है जो वो
छोटा सा उसका साम्रज्य है
वो रानी है आभास नहीं
पर नन्हा उसका राजकुमार है/
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