लाख गुजर जाए उस पर,पर वो छोड़ देती है
मैं कितना भी छुपाऊँ,मेरी आँखें पढ़ माँ बोल देती है।
उसकी सिसकियों को लोग उसकी कमज़ोरी समझते हैं
वो तोड़ती है खुदको,पर मुझे जोड़ देती है।
तुमने तिनके उठाते तो देखा होगा चिड़ियाँ को
माँ वो है जो तिनकों से घर को जोड़ देती है।
मेरे जरा सी मेहनत पर मुझे गुरुर सा आ गया
वो तो रोज़ करती है,हँसकर छोड़ देती है।
कोई अच्छा कहेगा,कोई बुरा कहेगा,फिक्र नहीं
मैं क्या हूँ,नज़रें टटोल माँ बोल देती है।
बचपना उसमें भी होगा जरूर कहीं
जाने क्यूँ मुझ पर वो सब उड़ेल देती है।
ज़िद तो उसमें भी होगी शायद,मैं जो रुकने कहूँ
वो मानती नहीं,पहला निवाला मुँह में छोड़ जाती है।
मैंने करवटे बदले हैं घंटों मलमल के बिस्तरों पर
गोद पर सिर रखूँ,और वो एक थपकी,नींद आ ही जाती है।
आज मैं जो कुछ भी हूँ,उसी की रेहम है
सब खुदा की ख्वाईश है,जाने क्यूँ माँ बोल देती है।
©युगेश
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मैं कितना भी छुपाऊँ,मेरी आँखें पढ़ माँ बोल देती है।
चित्र-गूगल आभार |
वो तोड़ती है खुदको,पर मुझे जोड़ देती है।
तुमने तिनके उठाते तो देखा होगा चिड़ियाँ को
माँ वो है जो तिनकों से घर को जोड़ देती है।
मेरे जरा सी मेहनत पर मुझे गुरुर सा आ गया
वो तो रोज़ करती है,हँसकर छोड़ देती है।
कोई अच्छा कहेगा,कोई बुरा कहेगा,फिक्र नहीं
मैं क्या हूँ,नज़रें टटोल माँ बोल देती है।
बचपना उसमें भी होगा जरूर कहीं
जाने क्यूँ मुझ पर वो सब उड़ेल देती है।
ज़िद तो उसमें भी होगी शायद,मैं जो रुकने कहूँ
वो मानती नहीं,पहला निवाला मुँह में छोड़ जाती है।
मैंने करवटे बदले हैं घंटों मलमल के बिस्तरों पर
गोद पर सिर रखूँ,और वो एक थपकी,नींद आ ही जाती है।
आज मैं जो कुछ भी हूँ,उसी की रेहम है
सब खुदा की ख्वाईश है,जाने क्यूँ माँ बोल देती है।
©युगेश
Lovely and heart touching
ReplyDeletebeautiful
ReplyDeleteVery beautiful.. Keep it up.
ReplyDeleteThanks a lot :)
ReplyDeleteWah
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