Thursday, April 19, 2018

सिसकी

सिसकी जो निकली तो जान निकल गयी
हैरत तो तब हुई जब बच्ची बच्ची नहीं
हिन्दू और मुसलमान निकल गयी
कठुआ हो या उन्नाव
या कोई और जगह
माँ को तकलीफ तब हुई
जब बच्ची घर से परेशान निकल गयी
कहीं दुबक के बैठी थी वेदना
वेदना का चोला ओढ़े जब
राजनीति बेशुमार निकल गयी
निर्भया के आँसू अभी सूखे नहीं थे
इंसानियत बेसुध पड़ी रही मंदिर में
हैवानियत उससे होकर सरेआम निकल गयी
©युगेश
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